मिर्जापुर आध्यात्मिकता और सूफी परंपरा के प्रतीक, गौस-ए-वक्त महबूबे रब्बानी, सुफीये मिल्लत, पीरे तरीकत हजरत हाजी नूर मोहम्मद शाह और उनके खलिफा हजरत सूफी मोहम्मद जान रजिअल्लाह तआला अन्ह की याद में तेइसवाँ सालाना उर्स मुबारक का आयोजन 23, 24 और 25 अप्रैल को जसोवर पहाड़ी, ईदगाह के पीछे, भिस्कुरी शरीफ, नूरी नगर में होने जा रहा है। इसकी जानकारी प्रेस वार्ता कर कमेटी के सदस्यों ने दी है. इस पवित्र अवसर पर सिपाही बाबा के नाम से विख्यात इन सूफी संतों की शिक्षाओं और उनके आध्यात्मिक योगदान को श्रद्धांजलि दी जाएगी।उर्स का महत्व उर्स, सूफी परंपरा में एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो संतों के निधन की तारीख को उनकी आध्यात्मिक विरासत को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। यह अवसर भक्तों के लिए प्रेम, शांति, और एकता का संदेश लेकर आता है। हजरत हाजी नूर मोहम्मद शाह और हजरत सूफी मोहम्मद जान, जिन्हें गौसे जमानी और री आबादानी कामिली नामानी के रूप में जाना जाता है, अपने जीवनकाल में सूफीवाद के माध्यम से मानवता की सेवा की और समाज में भाईचारे का संदेश फैलाया।
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