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मिर्ज़ापुर : श्रम विभाग के चर्चित हजारों आवेदनों की जांच आखिरकार कब तक करेंगे अधिकारी

मिर्ज़ापुर : श्रम विभाग के चर्चित हजारों आवेदनों की जांच आखिरकार कब तक करेंगे अधिकारी

  •   जेपी पटेल
  •  2025-06-03 20:09:11
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मिर्जापुर जनपद के श्रम विभाग में भ्रष्टाचार, गड़बड़झाले की शिकायतों पर कार्रवाई कब होगी. संबंधित अधिकारी जिसकी गर्दन इस मामले में फस्ती नजर आ रही है वह अब मिर्जापुर से रुखसत करने वाले हैं.ऐसे में चर्चित 1072 आवेदन मामले की जांच को लेकर प्रश्नवाचक चिन्ह उठ रहा है.दरअसल श्रम विभाग में विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, अधिकारी कंबल ओढ़ कर घी पी रहे हैं। हद की बात तो यह है कि जवाब देही से बचने के लिए शिकायत तो दूर है जांच कर कार्रवाई के बजाय मामले को दबाए जाने का कुचक्र रचा जाता रहा है। बताया जा रहा है कि बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला किया गया है यह जांच रिपोर्ट आने पर स्पष्ट हो जाएगा। उप श्रम आयुक्त, उत्तर प्रदेश, वाराणसी क्षेत्र वाराणसी के पत्र संख्या 4962 /मई 30, 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सहायक श्रमायुक्त मिर्जापुर सुविज्ञ सिंह द्वारा जांच मामले में जान बूझकर स्थिलता बरती जा रही है। 1072 आवेदनों के शिकायतकर्ता जिले के मान्यता प्राप्त पत्रकार एवं वर्तमान में माकू यूनियन महामंत्री मंगल तिवारी हैं, जिन्होंने तमाम आरटीआई के बाद 14 जून 2024 को जिलाधिकारी मिर्जापुर, आयुक्त विंध्याचल मंडल सहित शासन व यूपीबीओसी बोर्ड लखनऊ को शपथ पत्र के साथ इन आवेदनों में लगे दस्तावेजों की जांच किए जाने तथा जांचोंपरांत जांच अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की थी। आरोप लगाया था कि इन आवेदनों में अधिकतर में कूट रचित जन्म प्रमाण पत्र परिवार रजिस्टर नकल इत्यादि का प्रयोग कर गलत तरीके से शिशु हित लाभ योजना का बंदर बात किया गया है जिसके जांच करता अधिकारी कौशलेंद्र कुमार सिंह, निमेष कुमार पांडे व अन्य है तथा उनकी भूमिका संदिग्ध है। शिकायतकर्ता मंगल तिवारी के पत्र का संज्ञान लेते हुए बोर्ड के निर्देश पर श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश द्वारा उप श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश, वाराणसी क्षेत्र वाराणसी धर्मेंद्र कुमार सिंह को पत्र संख्या 4464- 67 सन् 2024 पर जांच अधिकारी नामित किया है जिनमें तीन सदस्य होने का दावा किया गया है वहीं इसी 1072 मामले की दूसरी बार जांच के दौरान डी के सिंह की अध्यक्षता में वाराणसी, जौनपुर और भदोही की कुल 9 सदस्यीय टीम ने बिना कार्यालय आए बाहर ही बाहर जांच की कार्यवाही को अंजाम दिया, जबकि डीके सिंह द्वारा जारी अपने आदेश पत्र संख्या 3341-44/2025 में इस बात का जिक्र था कि सभी जांच टीम समिति को 10 अप्रैल 2025 को कार्यालय सहायक श्रम आयुक्त मिर्जापुर अपराह्न 4 बजे तक पहुंचना था। चर्चित आवेदन 1072 का मामला इस समय लोहे के चना चबाने जैसा है फिर भी जांच अधिकारी अपना खेल, खेल रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इसके पूर्व 9 मई को भी टीम हिंडालको गेस्ट हाउस पर ठहर कर जांच कार्यवाही को अंजाम दिया था। पूरे प्रकरण में लीपापोती का अंदेशा साफ है, शिकायतकर्ता ने जिन 1- 8 बिंदुओं को दर्शाते हुए जांच की मांग की और साथ में 55 ऐसे आवेदनों का कूट रचित दस्तावेज साक्ष्य संलग्न कर अपने समक्ष जांच की मांग की थी शायद जांच अधिकारी व टीम ने इससे इतर जांच की बावजूद इसके सूत्र बताते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है जिसे मिर्जापुर टीम सुधारने में लगी है। बताते चले कि इन आवेदनों की जांचकर्ता अधिकारी वही हैं जिनकी एक पूर्व जांच गोपालपुर मामले में महिला शिकायतकर्ता ने जांच के दौरान इनकी भूमिका पर सवालिया निशान उठाते हुए जांच के दौरान आरोपी अधिकारी को बचाने और शिकायतकर्ता पर दबाव बनाने का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार सहित श्रमायुक्त उ प्र को शपथ पत्र भेजा था। आश्चर्य की बात यह है कि इस जांच के दौरान फर्जी होने के तथ्य लगातार सामने आ रहे हैं। अपने कोई ईमानदार साबित करने वाले सहायक श्रमायुक्त सुविज्ञ सिंह ने 1072 से जुड़े किसी भी अधिकारी अथवा कर्मचारियों को अब तक नोटिस जारी नहीं किया है बल्कि खानापूर्ति करने के लिए चुपचाप कुछ लोगों को पत्र संख्या 544 आदि पर लाल बबुन्दर पुत्र विजय बहादुर निवासी रामपुर कुशहॉ, छानबे, रामजी पुत्र राम सत्य बदेवरानाथ, गुंजा देवी पत्नी रामजी, शैलेन्द्र कुमार पुत्र राम प्यारे, ज्ञान चन्द पुत्र बाबूलाल, अंजनी कुमार पुत्र परमानन्द जगदीश मौर्या इत्यादि को वसूली नोटिस भेजकर खानापूर्ति की जा रही है। और कुछ को बचाने तो कुछ को वसूली का नोटिस भी जारी किया गया है।

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